Thursday 8 February 2018

क्या किन्नर अब भी घृणा की वस्तु?

भारत मे थर्ड जेंडर को किस रूप में देखा जाता है ये बताने की आवश्यकता नही है। ये लोग जिन्हें किन्नर, छक्का, हिजड़ा इत्यादि नामों से पुकारा जाता है। इन्हें हर कोई बसों, ट्रेनों, सड़क इत्यादि स्थानों पर भीख मांगते देखा है। उस मांगने की प्रक्रिया में काफी लोग कुछ दे तो देते हैं लेकिन उनकी आंखों में एक घृणा का भाव समाया होता है।


के. पृथिका याशिनी भारत की प्रथम पुलिस अधिकारी बनी और हाल ही में जोयीता मण्डल बंगाल में लोक अदालत की न्यायाधीस बनी। इन दोनों किन्नर महिलाओं ने दिखाया कि इनमें भी क्षमता है कुछ करने की।


इनकी मदद करने के लिए एक हेल्पलाइन नम्बर निकाला गया पर इसका लाभ न के बराबर हुआ। हम बातें करते हैं लेकिन इनको अपने समाज मे जगह देने से झिझकते हैं और  इन्हें मनुष्य जाति से ही बाहर निकाल देते हैं।


आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय में आयोजित नुक्कड़ नाटकों में कई महाविद्यालयों ने भाग लिया। उनमे से एक कॉलेज जीजस एंड मैरी कॉलेज की छात्राओं ने ट्रांसजेंडरों की हक़ीक़त से रूबरू कराया। जिन बातों को मैं अब तक ऊपर लिख रहा था उन सबको उन्होंने अपने नाटक प्रस्तुति में प्रस्तुत किया।

भारत के बड़े नोट नेपाल में अवैध: इंडो-नेपाल मित्रता खतरे में

2016 में हुए विमुद्रीकरण के कारण भारत के विदेशी संबंध पहले ही खराब होते दिखायी दिए थे। नोटबंदी से रातों रात 500 और 1000 के नोट अवैध कर दिए ...