2016 में हुए विमुद्रीकरण के कारण भारत के विदेशी संबंध पहले ही खराब होते दिखायी दिए थे। नोटबंदी से रातों रात 500 और 1000 के नोट अवैध कर दिए गए थे जिनको बैंक में जमा करने का समय दिया गया था। भारत के अतिरिक्त भारतीय मुद्रा नेपाल, भूटान तथा ज़िम्बाब्वे जैसे कई अन्य देशों में भी थी जो बैंकों में जमा नही हो पायी।
नेपाल में सबसे अधिक भारतीय मुद्रा थी क्योंकि वहाँ सीधे-सीधे मुद्रा का प्रयोग किया जाता था। नोटबंदी से बड़ी मात्रा में 1000 तथा 500 के नोट नेपाल में फँसे रह गए थे जिसको बदलने की माँग की गई थी पर भारतीय सरकार ने कहा कि जितना समय भारतीयों को मुद्रा बैंकों में जमा करने हेतू मिला था उसी समय सबको कराना था। इस वजह से वहाँ भारतीय मुद्रा फँसने से लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इस सबके बावजूद नेपाल तथा भारत के व्यापारी नई भारतीय मुद्रा में व्यापार कर ही रहे थे कि नेपाल सरकार ने भरतीय मुद्रा के 200, 500 तथा 2000 के नोटों को अवैध घोषित कर दिया। सूचना मंत्री गोकुल बसकोटा ने 13 दिसंबर वीरवार को औपचारिक तौर पर इसकी घोषणा की। इस फैसले को भले ही नेपाल सरकार ने नेपाल के लिए सोचा हो कि अगर कल फिर नोटबंदी जैसे फैसले भारत लेता है तो नेपाल उससे प्रभावित न हो। पर वहीं व्यापारियों का वो तबका जो 2016 की नोटबंदी के भयावह फैसले से बबड़ी मुश्किल से उभर पाया था तथा फिर से आम व्यापार करने लगा था वह अब फिर से परेसानी में है। इस फैसले से भारत मे काम कर रहे नेपाली लोग जो साल अथवा 2-3 साल में अपने घर पैसा जोड़कर ले जाते थे उनके समक्ष भी एक बड़ा संकट आ गया है।
आर्थिक संकट के अतिरिक्त इसे भारत-नेपाल के संबंध में आयी दरार के रूप में भी देखा जा रहा है। भारत- नेपाल की मित्रता दशकों से चली आ रही है। भारत के लोग नेपाल तथा नेपाल के लोग भारत बिना किसी कागज़ी कार्यवाही के यात्रा अथवा कार्य कर सकते हैं। भारत मे लोक सेवा की परीक्षा में नेपाल तथा भूटान के लोगों को भी बैठने की अनुमति है। ऐसी स्थिति में मुद्रा को अवैध करना दोनो देशों की मित्रता पर एक प्रश्न चिह्न लगा देता है।
नेपाल में सबसे अधिक भारतीय मुद्रा थी क्योंकि वहाँ सीधे-सीधे मुद्रा का प्रयोग किया जाता था। नोटबंदी से बड़ी मात्रा में 1000 तथा 500 के नोट नेपाल में फँसे रह गए थे जिसको बदलने की माँग की गई थी पर भारतीय सरकार ने कहा कि जितना समय भारतीयों को मुद्रा बैंकों में जमा करने हेतू मिला था उसी समय सबको कराना था। इस वजह से वहाँ भारतीय मुद्रा फँसने से लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इस सबके बावजूद नेपाल तथा भारत के व्यापारी नई भारतीय मुद्रा में व्यापार कर ही रहे थे कि नेपाल सरकार ने भरतीय मुद्रा के 200, 500 तथा 2000 के नोटों को अवैध घोषित कर दिया। सूचना मंत्री गोकुल बसकोटा ने 13 दिसंबर वीरवार को औपचारिक तौर पर इसकी घोषणा की। इस फैसले को भले ही नेपाल सरकार ने नेपाल के लिए सोचा हो कि अगर कल फिर नोटबंदी जैसे फैसले भारत लेता है तो नेपाल उससे प्रभावित न हो। पर वहीं व्यापारियों का वो तबका जो 2016 की नोटबंदी के भयावह फैसले से बबड़ी मुश्किल से उभर पाया था तथा फिर से आम व्यापार करने लगा था वह अब फिर से परेसानी में है। इस फैसले से भारत मे काम कर रहे नेपाली लोग जो साल अथवा 2-3 साल में अपने घर पैसा जोड़कर ले जाते थे उनके समक्ष भी एक बड़ा संकट आ गया है।
आर्थिक संकट के अतिरिक्त इसे भारत-नेपाल के संबंध में आयी दरार के रूप में भी देखा जा रहा है। भारत- नेपाल की मित्रता दशकों से चली आ रही है। भारत के लोग नेपाल तथा नेपाल के लोग भारत बिना किसी कागज़ी कार्यवाही के यात्रा अथवा कार्य कर सकते हैं। भारत मे लोक सेवा की परीक्षा में नेपाल तथा भूटान के लोगों को भी बैठने की अनुमति है। ऐसी स्थिति में मुद्रा को अवैध करना दोनो देशों की मित्रता पर एक प्रश्न चिह्न लगा देता है।
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