आज के दिन यानी 3 अगस्त को हिंदी सहित्य जगत में 'कवि दिवस' के रुप में मनाया जाता है। किंतु 3 अगस्त को ही कवि दिवस में मनाने का कारण क्या हैं ? तो इसका कारण यह है कि आज ही के दिन 3 अगस्त 1886 में साहित्य जगत के प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म हुआ था । इनका जन्म स्थल चिरगाँव , उत्तर प्रदेश हैं और वहीं से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्वपूर्ण कवि है। उन्होंने हिन्दी , बंगला , संस्कृत तीनों भाषाओं के साहित्य का अध्ययन कर ज्ञान प्राप्त किया है, और उन्होंने इन भाषाओं में कई रचनाएँ भी की हैं । गुप्त जी के काव्य में राष्ट्रीयता और गांधीवाद की प्रधानता है।उनकी कृति भारत - भारती जो 1912 में स्वतंत्रता संग्राम के समय प्रकाशित हुई थी और इसीलिए महात्मा गांधी ने गुप्त जी को 'राष्ट्रकवि' की उपाधि से नवाज़ा था।
भारत भारती में देश की वर्तमान दुर्दशा पर क्षोभ प्रकट करते हुए उन्होंने देश के अतीत का अत्यंत गौरव और श्रध्दा के साथ गुणगान किया है।
जो कि स्वतंत्रता सैनानियों के भीतर नई ऊर्जा प्रवाहित करने के कार्य में सफल रहा । गुप्त जी ने प्रबन्ध काव्य तथा मुक्तक काव्य दोनों में रचनाएँ की है। उनके द्वारा की गई रचनाएँ साहित्य जगत के लिए अनमोल है , जिसके सम्मान में उनकी जयंती के दिन को "कवि दिवस" के रुप में मनाया जाता है।
भारत भारती में देश की वर्तमान दुर्दशा पर क्षोभ प्रकट करते हुए उन्होंने देश के अतीत का अत्यंत गौरव और श्रध्दा के साथ गुणगान किया है।
जो कि स्वतंत्रता सैनानियों के भीतर नई ऊर्जा प्रवाहित करने के कार्य में सफल रहा । गुप्त जी ने प्रबन्ध काव्य तथा मुक्तक काव्य दोनों में रचनाएँ की है। उनके द्वारा की गई रचनाएँ साहित्य जगत के लिए अनमोल है , जिसके सम्मान में उनकी जयंती के दिन को "कवि दिवस" के रुप में मनाया जाता है।
अंजली चौहान
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