Thursday 12 July 2018

शांति, नोबल और मलाला: एक सफर

  मलाला यूसुफजई का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रान्त के स्वात घाटी में हुआ। 11 वर्ष की उम्र मे ही उन्होंने तालिबानी आतंक के बारे मे बीबीसी पर ब्लॉग लिखना
शुरू किया जिसके पश्चात वह स्वात के लोगों के लिए नायिका बन गई। उनकें इन्ही उदारवादी प्रयासो के कारण वे आतंकवादियों के हमले का शिकार बनी।महज 15 साल की आयु में उनके सिर पर गोली मारी गई जिससे वह बुरी तरह घायल हुई तथा अतंर्राष्ट्रीय मीडिया ने इस घटना को खूब  उछाला। गोली लगने के बाद ब्रिटेन में इनका इलाज हुआ।
  जहाँ वह रहा करती थी उस इलाके पर तालिबानियो ने कब्जा कर लिया था जिसके कारण पकिस्तानी सेना और तालिबान के बीच संघर्ष का दौर चला।यह सब घटना मलाला की आँखों के सामने हो रही थीं जिसे उन्होंने डायरी मे लिखना प्रारंभ किया तथा फिर उन्होंने बीबीसी के लिए लिखना आरम्भ किया।
जिसकें कारण वह दुनिया की नज़रों मे आई।उनका इतनी कम उम्र मे इस प्रकार तालिबान की ज्यादतियों को देखते हुए भी बिना डरे उसकी सच्चाई सामने लाने के लिए ब्लॉग लिखना एक साहसिक काम रहा और उनका यही साहस दुनिया के लिए प्रेरणा बना। 2009 मे न्यूयार्क टाइम्स ने मलाला पर एक फिल्म भी बनाई थी।उनका नागरिकों और महिलाओं के अधिकारों के लिए अपने विचारों को बेबाकी से रखने के लिए उन्हें बहुत से पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया।
   17 वर्ष की कम उम्र मे शांति का नोबेल पुरस्कार पाने वाली वह पहली नोबेल विजेता बनी। इसके साथ-साथ उन्हें कई और सम्मान मिले जिसमें 2011मे पाकिस्तान का राष्ट्रीय शांति पुरस्कार उसके बाद 2011 में ही अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार ,2013 में अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार, साख़ारफ़ (सखारोव)पुरस्कार, 2013 मैक्सिको का समानता पुरस्कार , सयुंक्त राष्ट्र का 2013 मानवाधिकार सम्मान( हृयूमन राइट अवार्ड) से सम्मानित किया गया है। 
                                  अजंली चौहान

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