दो शब्द
एक अहसास की धूरी पर
दिलचस्प तरीके से इस्तेमाल हो
वो कुछ भी हो सकता है
वो हर वियक्ति का
तुम्हारा केवल तुम्हारा भी
या यूँ कहें! किसी का भी नहीं
वरदान या विलाप
या केवल दो शब्द
चुनने का हक
सबको है इन्हें
और कहूँ नहीं तो?
हक भी बड़ा अजीब है
क्योंकि हक 'शब्द' का भी है
उसे कौन कहे
उसे कौन सुने
बेशक ये दो हों,सैकड़ों हों
दो शब्द हों
बस! दो शब्द
एक अहसास की धूरी पर
दिलचस्प तरीके से इस्तेमाल हो
वो कुछ भी हो सकता है
वो हर वियक्ति का
तुम्हारा केवल तुम्हारा भी
या यूँ कहें! किसी का भी नहीं
वरदान या विलाप
या केवल दो शब्द
चुनने का हक
सबको है इन्हें
और कहूँ नहीं तो?
हक भी बड़ा अजीब है
क्योंकि हक 'शब्द' का भी है
उसे कौन कहे
उसे कौन सुने
बेशक ये दो हों,सैकड़ों हों
दो शब्द हों
बस! दो शब्द
-Saurabh Mishra
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