Sunday 22 July 2018

22 जुलाई : राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस

    हमारा देश जिस समय ब्रिटिश सरकार की गुलामी से मुक्ति पाने के लिए संघर्ष कर रहा था उसी समय स्वतंत्रता सेनानियों को एक ध्वज की आवश्यकता महसूस हुई ताकि ध्वज स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का प्रतीक बने ।
1904 में पहली बार ध्वज बनाया गया जो कि विवकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने बनाया था , पंरतु ध्वज का सफर यहीं नहीं थमा इसके बाद समय - समय पर इसमें अलग - अलग लोगों द्वारा परिवर्तन कर नए-नए तरह से ध्वज बनायें गए तथा कठिन संघर्ष के बाद ब्रिटिश सरकार से भारत को आज़ादी मिली तो वह लोकतांत्रिक गणराज्य बना जिसका अपना नया संविधान निर्माण किया गया और एक राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय ध्वज को अंगीकृत करने की आवश्यकता पड़ी , जिसके फलस्वरूप आज अर्थात 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को भारत के संविधान द्वारा अपनाया(अंगीकृत )गया । तिरंगे के अभिकल्पनाकर्ता पिंगलि वेकय्या हैं और उन्होंने इसकी रुप रेखा कुछ इस प्रकार बनाई है कि तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया रंग , बीच में सफ़ेद और नीचे गहरा हरा रंग बराबर अनुपात में हैं और इसी तीन रंग के कारण इसे तिरंगा कहा जाता हैं । चूंकि यह संविधान द्वारा अंगीकृत है इसलिए इसे राष्ट्रीय ध्वज की उपाधि मिली है। ध्वज जिसे आम बोलचाल की भाषा में झण्डा कहा जाता हैं इस झण्डे की चौड़ाई व लम्बाई 2:3 अनुपात की हैं। सफ़ेद पट्टी के केंद्र में गहरा नीले रंग का चक्र है , जिसे सम्राट अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थापित सिंह के शीर्ष फलक के चक्र प्रारुप को झण्डे  में लिया गया हैं। चक्र की परिधि सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होती है जिसमें 24 तीलियाँ हैं यह तिंरगा सिर्फ एक ध्वज नहीं अपितु भारत की शान हैं।
                 


                           अंजली चौहान

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