शीर्षक की यह पक्तियाँ सलमा जी पर सटीक बैठती हैं। सलमा उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के सलाई गांव की निवासी हैं जिनका मोतियों की माला बनाने का कारोबार है इसमें मोतियों की माला, ब्रेसलेट , इयररिंग, नेकलेस , हेयर बैन्ड आदि शामिल हैं। 55 वर्ष की सलमा का काम करने का जूनुन आज भी वैसा ही है जैसे तब था जब उन्होंने यह काम करने कि शुरुआत की थी हलांकि यह काम उतना आसान नहीं था सलमा एक छोटे से गांव की महिला है जिन्होंनें अपने हस्तशिल्प की कला को पेशे में बदलने का निर्णय किया , पंरतु उनके इस कदम से उन्हें गाँव वालो के ताने, भली - बुरी बातें सुननी पड़ी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज वह गाँव की 100 से ज्यादा महिलाओं के साथ मोतियों कि माला पिरोने का काम करती हैं।
इससे उन सभी काम करने वाली महिलाओं की आर्थिक तंगी दूर हुई है। सलमा के पति वाहन चालक थे। उनकी तीन बेटियाँ और तीन बेटे हैं जिनकी देखभाल शिक्षा के लिए पति कि कमाई पूरी नहीं पड़ रही थी और इस समस्या को दूर करने के लिए उन्हें एक परिचित ने मोतियों की माला बनाने के बारे मे बताया । बस यहीं से जीवन के एक नए सफर का आरंभ हुआ । उनके हुनर को आज देश ही नहीं विदेश मे भी पसंद किया जा रहा है नोएडा की एक कंपनी इन महिलाओं द्वारा तैयार किया गया समान लेती है तथा अरब से अमेरिका तक इसके कद्र दानों तक पहुंचाती है । इस तरह प्रति माह सभी की कमाई 10-20 हजार तक हो जाती है।
सलमा के इस कार्य से उनकी ही नहीं अपितु उन सभी महिलाओं की भी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है जो उनके साथ इस काम से जुड़ी हैं।
इससे उन सभी काम करने वाली महिलाओं की आर्थिक तंगी दूर हुई है। सलमा के पति वाहन चालक थे। उनकी तीन बेटियाँ और तीन बेटे हैं जिनकी देखभाल शिक्षा के लिए पति कि कमाई पूरी नहीं पड़ रही थी और इस समस्या को दूर करने के लिए उन्हें एक परिचित ने मोतियों की माला बनाने के बारे मे बताया । बस यहीं से जीवन के एक नए सफर का आरंभ हुआ । उनके हुनर को आज देश ही नहीं विदेश मे भी पसंद किया जा रहा है नोएडा की एक कंपनी इन महिलाओं द्वारा तैयार किया गया समान लेती है तथा अरब से अमेरिका तक इसके कद्र दानों तक पहुंचाती है । इस तरह प्रति माह सभी की कमाई 10-20 हजार तक हो जाती है।
सलमा के इस कार्य से उनकी ही नहीं अपितु उन सभी महिलाओं की भी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है जो उनके साथ इस काम से जुड़ी हैं।
अंजली चौहान
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