दिल्ली के पूर्व मे स्थित मंडावली इलाके की तीन नाबालिक लड़कियों की भुखमरी के कारण मौत होने का मामला सामने आया है। तीनों लडकियां बहने थी जो अपने माता-पिता के साथ रहती थी पिता रिक्शा चलाने का काम करता है तथा माँ मानसिक रूप से अस्थिर है । तीनों लडकियों के नाम शिखा(8 वर्ष), मानसी(4वर्ष), परुल(2 वर्ष) थे। कथित तौर पर भुखमरी और कुपोषण के कारण उनकी मृत्यु हो गई । बच्चों के पिता उतनी आमदनी नहीं एकत्र कर पाते थे कि पेट भर भोजन कर सकें क्योंकि पिता ड्रग का सेवन करता है जिसके कारण एक मात्र आय का प्राथमिक स्त्रोत भी परिवार ने खो दिया और उसका अपना रिक्शा भी चोरी हो गया जिसके कारण वह अपने मकान मालिक का रिक्शा चलाता था पर वह इससे अपने मकान का किराया नहीं चुका पाया और उसे घर खाली करके अपने दोस्त के घर मंडावली जाने को मजबूर होना पड़ा । पिता नौकरी की तलाश मे बाहर गया था कि पैसे इकट्ठा कर भोजन खरीद सके लेकिन दोपहर मे घर में तीनों लड़कियां एक के बाद एक बेहोश हो कर गिर गई तथा जब उन्हें पास ही के सरकारी अस्पताल लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मौत का कारण सुनिश्चित करने के लिए दो पोस्ट- मॉर्टम करवाए ताकि मौत को लेकर कोई भ्रम न हों। एलबीएस अस्पताल के द्वारा पोस्टमार्टम तैयार किया गया जिसमे बच्चों को अस्पताल ले जाने से 12-18 घंटे पहले उनकी मृत्यु की पुष्टि की गई।
इस तरह तीन बच्चियों की कुपोषण से मृत्यु होना बेहद दुखद हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने स्वीकार किया है कि इन तीन बच्चियों की मौत की जिम्मेदार सरकार है। पी. चिदंबरम ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मनरेगा और खाद्य सुरक्षा कानून की अनदेखी की है। राजधानी दिल्ली में 3 बच्चों की भूख से मौत मानवता को शर्मशार करदेने वाली घटना है। पर केंद्र सरकार क्या आंख मूंदे बैठी है? क्या सरकार भारत को डिजिटल बनाने में इतना खो गयी है कि आम जन उसे दिख ही नही रहे।
अंजली चौहान
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