Tuesday, 10 July 2018

भारतीय सिनेमा: एक विशालकाय उद्योग

मनुष्य ने अपने मनोरंजन के लिए विभिन्न साधनों का आविष्कार किया है तथा समय के साथ इनमे विकास भी किया है। मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है जो शिक्षित व अशिक्षित दोनों वर्गों में
लोकप्रिय है क्योंकि यह दृश्य तथा श्रव्य माध्यम है। चूँकि भारत विविधताओं का देश है तो यहाँ का सिनेमा कई अलग-अलग क्षेत्रीय रूपों में निकलता है जैसे उत्तर में कश्मीर का सिनेमा पूर्व में असम, मणिपुरी सिनेमा ऐसे ही दक्षिण भारत का सिनेमा तथा पश्चिम का सिनेमा। वर्तमान समय में भारत सिनेमा के रूप से दो दृश्यों में बंट गया है एक तो बॉलीवुड और दूसरा साउथ का टॉलीवुड। भारतीय सिनेमा ने 20वीं शताब्दी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।
 भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश से अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं को मिलाकर प्रतिवर्ष 1600 तक फिल्म बनती हैं।
भारतीय फिल्म का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्यपूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघमें भी होता है।
   दादा साहब फाल्के को भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाता है। दादा साहब फाल्के का भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरूप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारत का सबसे प्रतिष्ठित एवं सम्माननीय पुरस्कार है।
120वीं सदी में भारतीय सिनेमा(बॉलीवुड), संयुक्त राज्य अमेरिका का सिनेमा(हॉलीवुड) तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया है। 2013 में भारत, वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था। इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फिल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा, अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फिल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $ 1.86 अरब(₹93 अरब) का रहा। जिसके वर्ष 2016 तक $3अरब(₹150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फ़िल्में प्रदर्शित होती हैं।

अंजलि चौहान

No comments:

Post a Comment

भारत के बड़े नोट नेपाल में अवैध: इंडो-नेपाल मित्रता खतरे में

2016 में हुए विमुद्रीकरण के कारण भारत के विदेशी संबंध पहले ही खराब होते दिखायी दिए थे। नोटबंदी से रातों रात 500 और 1000 के नोट अवैध कर दिए ...