Monday 9 July 2018

पत्रकारिता का पता नहीं, पर चाटुकारिता की परिभाषा रट चुकी है।

चाटुकारिता एक प्रकार का रोग है जिसके शिकार लोग खुद होना चाहते हैं। यह इसलिए की कम मेहनत में अधिक सफलता प्राप्त की जा सके या यूँ कहें उन्हें मेहनत करनी ही नही है, वे समझते हैं मेहनत से कई गुना आसान चमचा बनना है। यदि कोई मेहनत व ईमानदारी का सेवक है तो चमचे(एक प्रकार का आरक्षण) वर्ग के लोग उसका खूब शोषण करते हैं तथा उसकी मेहनत की आँच पर अपना खाना पकाते हैं।
आप सब सोच रहे होगे की आज इस विषय पर लिखने की क्या सूझी। बात दरअसल ये हुई की एक स्थान पर नोकरी पर लगा जितना हो सका उससे बेहतर सेवा दी। पर यहाँ चमचे वर्ग के लोग अपने शोषण की तलवार से वार करते जा रहे थे, आखिरकार मैंने भी अपना व्यक्तित्व कुछ समय के लिए बदल दिया है, अब आगे देखते हैं क्या होगा।
दरअसल ये चुगलखोर किस्म के प्राणी होते हैं। इनका काम केवल इतना होता है कि यदि आप कोई काम मन लगाकर कर रहे हो तो आगे तक आपकी शिफारिश लगाके आपका प्रमोशन किसी सवण काम ( साले चुगली करके की काम नही कर रहा कोई कठिन काम करवाते हैं और खुद हराम की तोड़ते हैं।) पर करा देते हैं।

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