बात तो सभी को पता है कि भारत विश्व भर मे दूसरे नंबर की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है तथा यह
सख्यां दिन - प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। जनसंख्या के इस विस्फोट से बचनें के लिए अनेक प्रयास किए जाते है , देश की शासनव्यवस्था कई जागरुकता कार्यक्रमों से लोगों को जागरुक करने का प्रयास करती है। विश्व स्तर पर भी इस समस्या के निवारण के लिए विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है जो कि ग्यारह जुलाई को मनाया जाता है इसके तहत जागरुकता के साथ- साथ जनसंख्या की गणना कर आकड़े एकत्र किए जाते है,अभी तीन दिन पहले ही बुधवार ग्यारह जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया है जिस मौके पर भारत के बच्चों और किशोरों की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।यह रिपोर्ट 10 करोड़ किशोर-किशोरियों पर अध्ययन के आधार पर तैयार की गई है, जो कि चाइल्ड राइट्स एड यू (काई) के द्वारा जारी की गई है।आकडों के अनुसार, देश में स्कूल जाने वाले हर तीन मे से एक बच्चा सही उम्र में 12वीं कक्षा पास करता है।15 से 18 आयुवर्ग के 1.90 करोड़ बच्चे अपनी पढाई छोड़ चुके है अथवा देश मे 92 लाख किशोर -किशोरी विवाहित है जिसमें 15 से 19 वर्ष तक की लड़कियों की सख्या 37 लाख है इनमें से 34 लाख लड़कियाँ माँ बन चुकी है।तो वही 15 से 19 आयुवर्ग की 25 फीसद लड़कियाँ दुष्कर्म का शिकार हुई हैं।15 से 19 आयुवर्ग के 40 फीसद बच्चे कुपोषण से ग्रसित हैं।वर्तमान में 10 करोड़ देश के ऐसे किशोर हैं जो अपने अधिकारों से वंचित हैं।
बच्चों की ऐसी स्थिति के लिए देश , प्रशासन , समाज सभी जिम्मेदार हैं तथा इसमें सुधार लाने की अतिआवश्यकता है। देश की शिक्षा व्यवस्था नीति मे सुधार लाने की जरूरत है, सामाजिक कुरीतियों, अवधारणाओं मे बदलाव लाने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।किशोरावस्था जीवन की महत्वपूर्ण अवस्था है जिसे बेहतर बनाने के लिए हम सभी को कार्यरत होने की आवश्यकता है।
अंजली चौहान
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