लाख बार!उजाला
सपनों में रौशनी
लालिमा का परचम
बन कर उभरता है
हार भी जीत ऐसे ही बनती है
बस बदलो अपने जीतने की व्याख्या
हारने का तर्जुमा
तुम हर किसी के जीत में
अपनी जीत तलाश लोगे
तुम फिर कठपुतली नहीं
तुम्हारे सामने सब कठपुतली होंगे
और तुम दूर बैठकर
नज़ारा देखोगे,सब समझोगे
असर नहीं होगा बस
बस तुम सीखोगे
सीखते जाओगे
हर जीत से
औरों के हार से भी
यही विचार रखना
तुम अना* से बच जाओगे
हर बार! हर बार
तुम्हारी ही जीत होगी
हारने का दौर भी
तुम्हारी दौड़ में कहीं पीछे छूट जाएगा..
सपनों में रौशनी
लालिमा का परचम
बन कर उभरता है
हार भी जीत ऐसे ही बनती है
बस बदलो अपने जीतने की व्याख्या
हारने का तर्जुमा
तुम हर किसी के जीत में
अपनी जीत तलाश लोगे
तुम फिर कठपुतली नहीं
तुम्हारे सामने सब कठपुतली होंगे
और तुम दूर बैठकर
नज़ारा देखोगे,सब समझोगे
असर नहीं होगा बस
बस तुम सीखोगे
सीखते जाओगे
हर जीत से
औरों के हार से भी
यही विचार रखना
तुम अना* से बच जाओगे
हर बार! हर बार
तुम्हारी ही जीत होगी
हारने का दौर भी
तुम्हारी दौड़ में कहीं पीछे छूट जाएगा..
-Saurabh mishra
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